Shri Dham Vrindavan Mahima श्री धाम वृन्दावन महिमा part -2

Shri Dham Vrindavan Mahima Part - 2

श्री धाम वृन्दावन महिमा part -2


एक बार गोस्वामी तुलसीदास जी वृन्दावन के कालीदह के निकट राम्गुलैला के स्थान में रुके थे। उस समय वृन्दावन में एक संत रहते थे जिनका नाम था नाभा जी जिन्होंने ने भक्तमाल ग्रन्थ लिखा है। उन्होंने उस समय वृन्दावन में भक्तो का बहुत बाद भंडारा किया, तुलसीदास जी उस समय वृन्दावन में ही ठहरे थे अतः भगवान शंकर जी ने गोस्वामी जी से कहा की आप भी जाये नाभा जी के भंडारे में। तुलसीदास जी ने भगवन शंकर की आज्ञा का पालन किया और नाभा जी के भंडारे में जाने के लिया चल दिए और जब वो वहा पहुंचे तो थोडा बिलम्ब हो गया था और वहां पर संतो की बहुत भीड़ थी उनको कही बैठने की जगह नहीं मिली तो जहा संतो के जूते-चप्पल पड़े थे वो वही ही बैठ गए।

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अब संत लोग भंडारा पा रहे थे, पहले ज़माने में संत लोग स्वयं आपने बर्तन लेकर जाया करते थे, आज भी वृन्दावन की रसिक संत भंडारे में अपने-अपने पात्र लेकर जाते है। अब भंडारा भी था तो खीर का था क्योकि हमारे बांकेबिहारी को खीर बहुत पसंद है आज भी राजभोग में १२ महीने खीर का ही भोग लगता है, अब जो प्रसाद बाट रहा था वो गोस्वामी जी के पास आये और कहा बाबा -तेरो पात्र कहा है तेरो बर्तन कहा है अब तुलसीदास जी के पास कोई बर्तन तो था नहीं तो उसने कहा की बाबा जाओ कोई बर्तन लेकर आओ, मै किस्मे तोहे खीर दू इतना कह कर वह चला गया थोड़ी देर बाद फिर आया तो देखा बाबा जी वैसे ही बैठे है , फिर उसने कहा बाबा मैंने तुमसे कहा था की बर्तन ले आओ मै तोहे किस्मे खीर दू, इतना कहने के बाद तुलसी दास मुस्कराने लगे और वही पास में एक संत का जूता पड़ा था वो जूता परोसने वाले के सामने कर दिया और कहा इसमें खीर डाल दो तो वो परोसने वाले ने कहा की बाबा पागल होए गयो है का इसमें खीर लोगे, तो गोस्वामी जी के आँखों में आशू भर आये और कहा की ये जूता संत का है और वो भी वृन्दावन के रसिक संत का , और इस जूते में ब्रजरज पड़ी हुई है और ब्रजरज जब खीर के साथ अंदर जाएगी तो मेरा अंतःकरण पवित्र हो जायेगा, धन्य है वृन्दावन , धन्य है वह रज जहा पर हमारे प्यारे और प्यारी जू के चरण पड़े है, ये भूमि श्री राधारानी की भूमि है यदि हम वृन्दावन में प्रवेश करते है तो समझ लेना चाहिए कि ये हमारे श्री राधारानी की कृपा है जो हमें वृन्दावन आने का न्यौता मिला।

 भले ही ये बात हम न समझे लेकिन एकबात समझ लेना चाहिए की जब तक हमारे श्री जी की कृपा नहीं होगी हम वृन्दावन में प्रवेश भी नहीं पा सक्ते  है।

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।। राधे-राधे जगतजननी श्री राधा-रानी की जय, श्री वृन्दावन धाम की जय।।

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