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।। श्री धाम वृन्दावन (श्री मदन मोहन जी )।। |
श्री धाम वृन्दावन महिमा
प्राचीन समय में श्री वृन्दावन धाम में तुलसी जी का बहुत ही विशाल वन था। श्री धाम वृन्दावन की महिमा अनंत है। यहाँ पे श्री ठाकुर जी ने अनंत लीलाये की है। श्री वृन्दावन धाम सारे धामों से बढ़ कर के है। यहाँ पे जन्म लेने के लिए स्वर्ग के देवता भी श्री राधा रानी एवं श्री ठाकुर जी से प्रार्थना करते रहते है पर श्री वृन्दावन धाम में वास उसी को मिलसकता है जिस पर हमारे ठाकुर जी की अशीम कृपा होगी। यहाँ पे माना जाता है के माता लक्ष्मी जी श्री धाम वृन्दावन में प्रवेश पाने के लिए बेलवन में तपश्या की थी। श्री वृन्दावन धाम की महारानी श्री राधा रानी है। यहाँ पे श्री राधा रानी अपने प्रियतम श्री श्याम सूंदर के साथ अनंत लीलाये की है। श्री धाम वृन्दावन की महिमा को कोई अपने शब्दों में बया नहीं कर सकता है। बड़े बड़े साधु महात्मा लोग भगवन से प्रार्थना करते है की हे राधा रानी हमें अपने चरणों की धूलि बनादो या किसी पसु पक्षी या कोई भी जनम दो लेकिन ब्रज का ही वास मिले। क्यों की वृन्दावन की धूलि जनम - मरण के बंधन से मुक्ति दिलाने वाली है। इस धूलि में श्री श्यामा श्याम सूंदर जी ने अनेक लीलाये की है। यहाँ पे लोग ब्रज रज को लोग आपने सर पे धारण करते है।
जै जै श्यामा जै जै श्याम जै जै श्री वृन्दावन धाम।
सलोनी सखी कृत श्री वृन्दावन महिमा की जै जै श्री हरिवंश
रंगीलो राधावल्लभ लाल, विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
जमुना नीलमणि की माल, प्रेम सुरस वरषत सब काल, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
सखिनु संग राजत जुगल किशोर, अदभुत छवि सांझ अरू भोर, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
आनन्द रंग कौ ओर न छोर, प्रेम की नदी बहे चहुँ ओर, दुर्लभ पिय प्यारी को धाम, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
चंहुँ दिसि गूँजत राधा नाम, नैननि निरखिये स्यामा स्याम, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
मनुवा लेत परम विश्राम, धनि धनि श्री किनका प्रसाद, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
पाये सब मिटिहैं विषै विषाद, सभे सुख एक सीथ के स्वाद, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
सर्वसु मान्यौ हित प्रभुपाद, धनि धनि ब्रजवासी बड़भाग, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
जिनके हिये सहज अनुराग, लेत सुख रास हिंडोला, फाग, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
गावत जीवत जुगल सुहाग, छबीली वृन्दावन की बेलि, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
छाँह तरै करैं जुगल रस केलि, मंद मुसिकात अंस भुज बेलि, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
रसिक दें कोटि मुक्ति पग पेलि, पावन वृन्दावन की धूरि, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
परस किये पाप ताप सब दूरि, रसिक जननि की जीवन मूरि, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
हित कौ राज सदा भरपूर, रसीली मनमोहन की वेणू, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
कौन हरिवंशी सम रस दैन, अगोचर नित विहार दरसैन, 'सलोनी' पायौ निकुंजनि ऐन, जै जै जै श्री वृन्दावन धाम ।।
श्री धाम वृन्दावन की महिमा को कोई नहीं गा सकता है। श्री धाम वृन्दावन की महिमा का वर्णन महान संतो - भक्तों ने किया है। उसे मै अपने क्रमबद्ध पोस्ट में ब्रज अध्यात्म के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिस करूँगा।
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