Govardhan Puja 2018: जानिए क्या है गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

।। श्री गोवर्धन धरी की जय ।।

Govardhan Puja 2018 (गोवर्धन पूजा २०१८)

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और दिन :

गोवर्धन पूजा : दिनांक 8 नवंबर २०१८ को है 
प्रथम पूजा मुहूर्त : सुबह 6:42 बजे से लेकर सुबह 8:51 तक है। 
दूसरा पूजा मुहूर्त : दोपहर 3:18 से लेकर शाम 5:27 तक है। 

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकम तिथि (प्रतिपदा) को मनाई जाती है।  दिवाली (Diwali 2018) के अगले दिन मनाई जाने वाली इस पूजा का बहुत ही महत्व है।  

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कई क्षेत्रों में इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इसका तात्पर्य है अन्न का समूह। इस पूजा में कई तरह के अन्न और अन्न से बने हुए पकवान एवं मिष्ठान भगवान को चढ़ाए जाए हैं और बाद में उन्हें प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। यही कारण है कि इस त्योहार को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।  

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गोवर्धन पूजा की सुरुवात कैसे हुई ?

गोवर्धन पूजा की शुरुआत द्वापर युग से हुई थी। भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को प्रेरित किया था कि गोवर्धन से ही हमें अनेको प्रकार की औषधियां, जलाने के लिए लकड़ियां तथा हमारे गायों के लिए चारा मिलता है। अतः हमें गोबर्धन की पूजा करनी चाहिए। गोकुलवासियों ने भगवान की बात मानकर गोवर्धन की पूजा करने लगे और इस बात से रुष्ट होकर देवताओं के राजा इन्द्र ने मूसलाधार बारिस सुरु की। भगवान ने गोकुलवासियों को बचने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने सबसे छोटी ऊँगली पे उठा लिया और सबके प्राणो की रक्षा की। तब से गोवर्धन पूजा बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। 

लोग इस दिन आंगन में गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनकी पूजा करते हैं।  फिर गिरिराज को खुश करने के लिए लोग उन्हें अन्नकूट का भोग लगाते हैं।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें?

१.  ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल मालिश करें तत्पश्चात स्नान करें। 
२.  इसके बाद अपने घर के अथवा मंदिर के मुख्य द्वार के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं।
३. अब फूल व अक्षत धुप एवं दिप अर्पित कर गोवर्धन की पूजा करें।  
४. फिर भगवान को विभिन्न प्रकार के अन्न , मिष्ठान एवं पकवान का भोग लगाए। 
५. भगवान का कीर्तन ध्यान करें। 
६. फिर प्रशाद वितरण करें। 

मेरे गिरधर गोपाल की कृपा आप सब पे हमेशा बानी रहे। प्रेम से बोलिये श्री राधा श्याम सूंदर की जय। 

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