इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज में आ गए - Brj Adhyatm

।। ॐ नमः शिवाय ।।

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज में आ गए

पार्वती भी मना के हारी ना माने त्रिपुरारी ब्रज में आ गए


पार्वती से बोले मैं भी चलूँगा तेरे संग मैं

राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूँगा तेरे संग में
रास रचेगा ब्रज मैं भारी हमे दिखादो प्यारी 


ओ मेरे भोले स्वामी,  कैसे ले जाऊं अपने संग में

श्याम के सिवा वहां पुरुष ना जाए उस रास में
हंसी करेगी ब्रज की नारी मानो बात हमारी


ऐसा बना दो मोहे कोई ना जाने एस राज को

मैं हूँ सहेली तेरी ऐसा बताना ब्रज राज को 
बना के जुड़ा पहन के साड़ी चाल चले मतवाली 


हंस के पार्वती ने कहा  बलिहारी जाऊं इस रूप में

इक दिन तुम्हारे लिए आये मुरारी इस रूप मैं
मोहिनी रूप बनाया मुरारी अब है तुम्हारी बारी


देखा मोहन ने समझ गये वो सारी बात रे

ऐसी बजाई बंसी सुध बुध भूले भोलेनाथ रे
सिर से खिसक गयी जब साड़ी मुस्काये गिरधारी  


इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज में आ गए

पार्वती भी मना के हारी ना माने त्रिपुरारी ब्रज में आ गए



। ॐ नमः शिवाय । 

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