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श्री युगल सरकार |
प्रेम से बोलिये श्री बांके बिहारी लाल की जय
श्री बांकेबिहारी जी का मंदिर श्री धाम वृन्दावन में है। इस मंदिर में श्री ठाकुर जी की एक काले रंग की प्रतिमा विराजमान है जिसमे साच्छात श्री राधा रानी और श्री ठाकुर जी समाहित है। यह मंदिर ठाकुर जी की ७ मुख्य मंदिरो में से एक है। हर साल मार्गशीर्ष महीने की पांचवे तिथि को श्री बिहारी जी का प्रकटोत्सव मनाया जाता है।
ऐसा सत्य घटना माना जाता है कि स्वामी श्री हरिदास जी बिहारी जी के अनन्य भक्त थे। श्री धाम वृन्दावन में स्थित श्री ठाकुर जी की रासस्थली निधिवन में बैठ कर भगवान जी को अपना संगीत सुनाया करते थे। वे जब भी भगवान जी को समर्पित कर के अपनी संगीत सुनाते थे तो श्री ठाकुर जी उनके सामने प्रगट हो जाते थे और श्री हरिदास जी मुग्ध हो कर श्री ठाकुर जी को दुलार करने लगते थे।
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एक दिन श्री हरिदास जी के शिष्यों ने बिनम्र निवेदन किया की हमें भी श्री ठाकुर जी के दर्शन करवाएं। श्री हरिदास जी श्री ठाकुर जी की भक्ति में डूबकर भजन सुनाने लगे। श्री युगल सरकार की जोड़ी प्रगट हुई और श्री हरिदास जी के पास रहने की इच्छा प्रगट की। यह सुनकर श्री हरिदास जी बोले की हे प्रभु मै तो ठहरा संत आदमी और आप को तो लंगोट पहना दूंगा परन्तु माता को आभूषण ला के कहा से दूंगा।
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श्री हरिदास जी की बात सुनकर प्रभु मुस्कराये और देखते ही देखते श्री युगल सरकार की जोड़ी एक हो गई और बिग्रह में परिवर्तित हो गई। श्री हरिदास जी ने इस बिग्रह को श्री बांके बिहारी नाम दिया
प्रभु के इस बिग्रह के दर्शन मात्र से प्राणियों के सरे कष्ट दूर हो जाते है।
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मंदिर खुलने का समय
ग्रीष्म कालीन में सुबह 8:30 AM से 12:30 PM तक और साम के 5:00 से 9:30 रात तक।
शीत कालीन में सुबह 8:45 AM से 1:00 PM तक और साम के 4:30 से रात के 8:30 तक।
श्री बिहारी जी की बहुत सुन्दर आरती
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ। श्री कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
मोर मुकुट प्रभु तेरो शीश सोहे। प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि मई बलि बलि जाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी। जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
दास अनाथ के नाथ आप हो। दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री हरि दास के प्यारे तुम हो। मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ। हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
Direction :
Radhe Radhe
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